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गड़बड़झाला : सील अस्पताल का बदला नाम..

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कोरांव के खीरी एरिया का मामला, अब खामोश हैं जिम्मेदार

प्रयागराज (अभिषेक त्रिपाठी)। अपनी दुकान चलाने के लिए पहले अस्पताल का रजस्ट्रेशन, फिर कानून तोड़ना, शिकायत पर कार्रवाई होना और फिर महकमे की मेहरबानी से दूसरा रास्ता निकालना यह पुरानी बात है। एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है। जिसमें सील अस्पताल अब दूसरे नाम से संचालित हो रहा है। अस्पताल वहीं है, लेकिन नाम अलग है।

बता दें कि स्वास्थ्य महकमा कितना भी सख्ती बरत ले मगर झोला छाप चिकित्सकों पर इसका कोई असर नहीं है। मामला यमुना नगर कोरांव के खीरी एरिया का है। स्वास्थ्य महकमे ने अर्चना हॉस्पिटल को सील कर दिया। इसके बाद संचालक ने उसी बिल्डिंग में दूसरे नाम से क्लीनिक खोल दिया। क्लीनिक तो खुल गई मगर क्लीनिक का खुलना स्वास्थ्य महकमे की सख्ती पर सवाल उठाने के लिए काफी है जबकि नई क्लीनिक का संचालक वही है। जिसके खिलाफ स्वास्थ्य महकमे ने कारवाई की थी।

बेअसर है सख्ती


लेडियारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास अर्चना हॉस्पिटल खुला था। इस हॉस्पिटल का संचालन बृजेंद्र बिंद कर रहे थे। 5 अक्तूबर को स्वास्थ्य महकमे की टीम ने अर्चना हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। इस दौरान वहां कोई डॉक्टर नहीं मिला। जिस पर स्वास्थ्य महकमे की टीम ने हॉस्पिटल को सील कर दिया।

अब खुल गई क्लीनिक


जिस बिल्डिंग में अर्चना हॉस्पिटल चल रहा था, जब उसे सील कर दिया गया तो कुछ दिनों बाद उसी बिल्डिंग में पूजा पॉली क्लीनिक खोल दी गई। इस क्लीनिक का संचालक बृजेंद्र बिंद को बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस क्लीनिक पर आने वाले मरीज को दूसरी जगह भर्ती किया जाता है। रविवार को हिंदुस्तान हेल्थ टाइम्स के संवाददाता ने क्लीनिक के बारे में जानकारी जुटाई। क्लीनिक पर मिले पप्पू बिंद ने बताया कि डॉक्टर बृजेंद्र बिंद अभी क्लीनिक पर नहीं हैं।


खैर झोला छाप डॉक्टर स्वास्थ्य महकमे की सख्ती पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। अब देखना ये है कि ऐसे झोला छापों के खिलाफ स्वास्थ्य महकमा कब कारवाई करता है।

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