अखिलानंद तिवारी
Ballia : जनपद के स्वास्थ्य केंद्रों व जिला मुख्यालय पर अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे एक सफेदपोश का बलिया दौरा सवालों के घेरे में है ? नेताजी के निरीक्षण व वसूली को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस औचक निरीक्षण से जनपद को कितना लाभ मिलेगा फिलहाल यह बताना मुश्किल है, लेकिन उनके इर्द-गिर्द चलने वाले जरूर लाभान्वित हुए हैं, ऐसा लोगों का कहना है ? चर्चा यह भी है कि उन्होंने इशारों-इशारों में ही मुख्यमंत्री का नाम लेकर सरकारी कर्मचारियों को चमकाने, धमकाने व हड़काने का भरपूर काम किया। आरोप लगाए जा रहे हैं कि उनके संरक्षण में चल रहे चेले व चमचों ने कई जगह धन उगाही भी की है। व्यवस्था सुधारने के नाम पर ऐसा करना घृणित कृत्य है।
Dr. Shubham Rai
SHUBHAM RAI
Dr. M. Alam
Dr. D Rai
हां यह भी संभव है कि ईमानदार नेता की क्षवि धुमिल करने के लिए पीठ पीछे कुछ लोगों द्वारा साजिश रची गई हो और नेताजी इस खेल से अनजान हों..। लेकिन निरीक्षण के नाम पर खामियां निकलना, फिर सरकारी कर्मचारियों का शोषण करना, यह बात तेजी से पूरे जनपद में फैल रही है..। यह भी हो सकता है कि यह बाद फैलाई गई हो, लेकिन कुछ तो है, जिससे जनता अनजान हैं। जानकार बताते हैं कि अंदरखाने कहीं न कहीं खिचड़ी पक रही है और उसकी सुगंध आस-पास फैलने लगी है।
Dr. B.K. gupta
हाल ही में कुछ स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण करते हुए नेताजी अपने लाव- लश्कर के साथ सीधे जिला मुख्यालय तक पहुंच गए। एक बड़े अस्पताल के आपातकालीन कक्ष से शुरू हुआ उनका निरीक्षण अस्पताल के एक-एक वार्डों तक चलता रहा। उनकी दृष्टि से भले ही वहां बंद पड़े सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड एवं सर्जिकल वार्ड में भर्ती पीड़ित मरीज बच गए हों, लेकिन उन्होंने शासन के मंशा अनुरूप संचालित व रोगियों को मिलने वाली सुविधाओं का बारीकी से निरीक्षण किया। वह अस्पताल के ब्लड बैंक एवं पैथोलॉजी तक को भी देखने पहुंचे।
Dr. P.K. Singh
Dr. Aftab
Dr. Krishna Singh
ख़ास बात यह भी रही कि उनके साथ स्वास्थ्य महकमे के दो बड़े चिकित्साधिकारी भी थे। उनके साथ ओपीडी में एक-एक चिकित्सक की उपस्थिति और अनुपस्थिति का भी जायजा लिया गया। इतना ही नहीं आयुष एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों को आन ड्यूटी चेक किया गया। उन्होंने उनसे प्रतिदिन की स्थिति के बारे में भी पूछा। इस दौरान एक वार्ड में कई मरीजों ने एक चिकित्सक पर पैसा लेकर ऑपरेशन करने का गंभीर आरोप भी लगाया। जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया। वह अपने औचक निरीक्षण की जांच रिपोर्ट शासन को भेजने का दावा भी कर रहे हैं। हालांकि इसका सबको इंतजार रहेगा की शासन को रिपोर्ट भेजने के बाद अब नया क्या होने वाला है ? जिला अस्पताल में लगातार हो रहे निरीक्षण के बाद सुधारात्मक कार्रवाई कब शुरू होगी यह देखना बाकी है ? यह सत्य है कि पहले से व्यवस्थाओं और सुविधाओं में काफी तब्दीली आई है। साफ-सफाई भी युद्ध स्तर पर होने के कारण मरीज व तीमारदार राहत की सांस ले रहे हैं। लेकिन गिद्ध अपना काम करने से बाज नहीं आ रहे..?
Dr. Ujjawal
बताते चलें कि यहां ऊपर से सबकुछ अच्छा दिखाई देता है, लेकिन अंदर ही अंदर मरीज बड़े पैमाने पर शोषण के शिकार हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के इर्द-गिर्द और स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों के नाक के नीचे अवैध रूप से संचालित हो रहीं दर्जनों पैथोलॉजियां, अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे से लेकर बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे नर्सिंग होम पर किसी का अंकुश नहीं है। पिछले कुछ सालों में सैकड़ों शिकायतें मिलीं, लेकिन आजतक बंद नहीं किया जा सका। यह और तेजी से फल -फूल रहा है।
Dr. Musrat jahan
यहां चिंटा-माटा की तरह चिपके दलालों के माध्यम से बाहर की दवा, बाहर की जांच, ओपीडी में दखल बेरोकटोक जारी है। हड्डी के आपरेशन से लेकर हाइड्रोसील, हर्निया व हर छोटे- बड़े ऑपरेशन के लिए सुविधा शुल्क लेने की आवाज समय-समय पर उठती रही है, लेकिन उठाने वाले मरीज, तीमारदार व नेता की जुबान जैसे -तैसे बंद कर दी जाती है। आलम यह है कि सभी सरकारी चिकित्सकों की निजी दुकान समय से खुलती और बंद होती है। सरकारी अस्पताल में ड्यूटी भले ही विलंब से शुरू हो।
जानकारों का यहां तक कहना है कि होता तो यहां तक है कि ऑपरेशन के लिए रखे गए कर्मचारी के माध्यम से आवास पर शुल्क तय न होने पर ज्यादातर चिकित्सक मरीज को तत्काल गंभीर परेशानी दिखाकर यहां से वाराणसी व अन्यत्र रेफर कर देते हैं। यह सब जानने के बाद कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता। कड़क व ईमानदार अधिकारियों के रहते धरातल पर हकीकत में कार्रवाई होती है, तो ज्यादातर जांच खानापूर्ति तक दिखाई देता है। स्वास्थ्य केंद्रों पर उच्चाधिकारियों का आना और जाना लगा रहता है, लेकिन जनपद के अस्पतालों में पहले भी खेल जारी था, अब भी जारी है और आगे भी जारी रहेगा..। समय के अनुसार कभी ज्यादा व कभी कम जरूर हो सकता है। इसे बदल पाना लोहे का चना चबान के बराबर है।
हम बात कुछ जिलाधिकारी एवं कुछ चिकित्सा अधिकारियों की जरूर करते हैं, जिन्होंने अपने समय में बहुत कुछ बदलने का काम किया था। लेकिन उनका कार्यकाल लंबे समय तक नहीं रहा और फिर हालात वैसे ही हो गए। इसका स्थाई हल कब निकलेगा? व्यवस्थाएं कब बदलेंगी ? मरीजों का शोषण कब बंद होगा ? आम आदमी सरकारी सिस्टम पर कब भरोसा करेगा ? यह अभी भी भविष्य के गर्त में है।
Dr. V.S. Singh