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सिने में दर्द, घबड़ाहट, जलन एवं खांसी से परेशान हैं तो जानें रोग से बचने के उपाय

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स्थमा रोगियों को होता है श्वासनली में जलन, सिकुड़न एवं सूजन- डा. एम आलम

बलिया। अस्थमा (दमा) श्वासनली में जलन, सिकुड़न एवं सूजन के कारण होता है। रोग में कफ (बलगम) की मात्रा बढ़ जाती है। इसके मुख्य लक्षण सिने में दर्द, जलन, घबड़ाहट एवं खांसी तेज, कभी कम होना पाया जाता है। अस्थमा रोगियों को ठंडी चीजों से परहेज़ करना चाहिए। ऐसा न करने से रोग में वृद्धि होने लगती है। साथ ही तेले एवं भुने खाद्य पदार्थों को भी भोजन में शामिल नहीं करना चाहिए।

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इस संबंध में जनरल फिजिशियन डॉ. एम आलम ने बताया कि अस्थमा रोगियों को ठंडे पेय पदार्थों से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसे रोगियों को केला, दही, पपीता, संतरा आदि ठंडे फलों के सेवन से बचना चाहिए। इस रोग से पीड़ित मरीजों को हमेशा बाई करवट सोना चाहिए। ताकि स्वांस की नली में सिकुड़न की जगह फैलाव बना रहे। खासकर गर्मी के दिनों में अस्थमा के मरीजों को काफी सतर्क एवं सावधान रहने की जरूरत होती है। क्योंकि गर्मी में धूल एवं बैक्टीरिया के कारण श्वासनली जाम होने लगती है और मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है। दमा के मरीज की दवा निरंतर चलती चाहिए। इसकी दवा कभी बंद नहीं होती। इन्हें स्वस्थ रहने के लिए हमेशा खुद से सावधानी बरतने की जरूरत होती है। दमा के मरीजों को समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप भी कराते रहना चाहिए। साथ ही इससे जुड़ी फिजियोथैरेपी भी जरूरी है।


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