बच्चों के विकास के लिए कैसा हो आहार ?
गाजीपुर। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। कम उम्र के बच्चों को स्वस्थ रखने एवं उनके मस्तिष्क के विकास के लिए उनके खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा कहना है जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजीत कुमार मिश्रा का। वह बताते हैं कि मां का दूध बच्चों को दो साल तक पिलाते रहना चाहिए। छह माह बाद बच्चे को हल्का आहार देना आरंभ करें। शुरुआत में दाल का पानी, चावल का माड़, दलिया और ताजा जूस दें सकते हैं। आगे चलकर भी उन्होंने ताजा एवं शुद्ध भोजन देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि नवजात शिशु में डायरिया और निमोनिया होने के मुख्य कारण मां का दूध न पीना है। क्योंकि स्तनपान अमृत समान है। बाहरी दूध का उपयोग उन परिस्थितियों में ही किया जा सकता है, जब बच्चे की मां नहीं है या किसी गंभीर रोग से संक्रमित है। अन्यथा मां के दूध के अलावा बाहरी दूध नहीं देना चाहिए।
बताया कि बॉटल फीडिंग कई बीमारियों को जन्म देता है। बाहरी दूध किसी मजबूरी में देना पड़े तो कटोरी और चम्मच से ही दें और साफ- सफाई का पूरा ध्यान रखें। क्योंकि बाटल या बाहरी दूध पीने के कारण बच्चे के शरीर में इंफेक्शन फैल सकता है, जिससे वह बार-बार बीमार होता है। उन्होंने बताया की डायरिया और निमोनिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए प्रत्येक छह महीने पर बच्चों का टीकाकरण अवश्य कराएं।
अपना बोझ कम करने के लिए मां-बाप बच्चों को देते हैं मोबाइल
-बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजीत कुमार मिश्रा का कहना है कि वर्तमान में शिशुओं को मां-बाप मोबाइल दे देते हैं। ऐसा अपना बोझ कम करने के लिए माता-पिता करते हैं। यह उनके जीवन एवं भविष्य के लिए काफी घातक है। बच्चा धीरे-धीरे अकेले रहने का आदती होगा और आगे चलकर वह समाज एवं परिवार से अलग रहने लगेगा। पहले घर दादा- दादी, नाना -नानी, चाचा- चाचा एवं अन्य रिश्तों से फटा रहता था। बच्चे उनकी गोद एवं अन्य बच्चों के साथ खेलते थे, उन्हें खेलने कूदने एवं मस्ती करने का पूरा मौका मिलता था। अब बड़े होकर भी उनकी रूचि मोबाइल में ही रहती है। धीरे-धीरे वह अकेला रहना ही पसंद करता है। यह आगे चलकर मानसिक बीमारी को जन्म दे सकता है। डाक्टर मिश्रा ने बताया कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए बचपन में उन्हें मोबाइल से दूर रखें। माता- पिता बच्चों को समय दें। उन्हें परिवार से जोड़ कर रखें।