जिला अस्पताल में संवेदनहीनता के कारण मरहम पट्टी के लिए घंटों काटते रहे चक्कर
बलिया। वर्तमान में जिला चिकित्सालय में उपचार कराना लोहे का चना चबाने के बराबर है। यहां संवेदना मर सी गई है, फटेहाल व गरीब मरीज के दर्द को समझने के बजाय उससे शोषण का तरीका खोजा जाता है। इसके लिए ज्यादातर चिकित्सकों ने दलालों को माध्यम बना लिया है।
कुछ ऐसा ही वाकया गुरुवार को देखने को मिला। जब एक लाचार तीमारदार ठेले पर अपने मरीज को अस्पताल लेकर पहुंचा। उसकी सुनने वाला कोई नहीं था। उसे पूरा अस्पताल दौड़ाया गया। वह सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करने के बजाए खुद ही ठेले पर मरीज लेकर धीरे-धीरे अस्पताल की ओर बढ़ चला, फिर क्या था मरीज को ठेले पर बैठाकर अस्पताल पहुंच गया। लेकिन जिसके लिए परिजन ने सात किलोमीटर की यात्रा ठेले से की। शायद वह विश्वास जिला अस्पताल में आते ही टूट कर बिखर गया।
जी हां हम बात कर रहे हैं मरीज नारायण की जिनकी गंभीर चोट के कारण हड्डी टूट गई है। वह प्लास्टर के बाद दोबारा अस्पताल आए थे। उनके भाई काशीनाथ ने बताया कि वह बलिया जिले के हनुमानगंज स्थित ब्रह्मइन गांव के रहने वाले हैं। उनके भाई को गिरने के कारण गंभीर चोट लग गया था। जिससे हड्डी टूट गई थी। कच्चे प्लास्टर को कटवाने के साथ चोट लगे हिस्से पर मरहम पट्टी कराना था।
बता दें कि बुजुर्ग मरीज की हालत ठीक नहीं थी। इसलिए काशीनाथ अपने मरीज को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंचा था। ताकि जल्द उपचार मिल सके, लेकिन अस्पताल के जिम्मेदारों ने इस गरीब मरीज को पूरे अस्पताल घुमा दिया। पहले इमरजेंसी से भी भगा दिया, बाद में हो-हल्ला के बाद मरहम पट्टी किया।
पीड़ित बोला, “मरहम पट्टी व उपचार के लिए मजे का दौड़ाए लोग..
मरीज के साथ आए उनके भाई काशीनाथ ने बताया कि अस्पताल में आने के बाद प्लास्टर तो कट गया, लेकिन मरहम पट्टी करवाने के लिए मुझे पूरा अस्पताल चक्कर लगाना पड़ा। 12 नंबर कक्ष में गया तो उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में जाइए। इमरजेंसी में गया तो डॉक्टर साहब ने खदेड़ दिया। इस तरह कई वार्ड में घुमता रहा। इसके बाद जब मीडिया के लोगों से मुलाकात हुई तो मेरे भाई का उपचार करने के लिए डॉक्टर तैयार हुए। इससे पहले इन लोगों ने पूरे अस्पताल का भ्रमण मजे का करा दिया। ऐसा आए दिन गरीब मरीजों के साथ होता है।
क्या बोले इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर…
जिला अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. समीर कुमार ने बताया कि मरीज को यह ठेले पर लाए थे। मुझे अब जानकारी हुई है, तो मैं फार्मासिस्ट को भेजा हूं। कुछ वार्ड बाय भी गए हैं। मरीज की हालत को देख प्राथमिक उपचार के बाद इस मरीज को भर्ती कराया जाएगा।