पूर्व में अमृत फार्मेसी के संचालक ने बांसडीह सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक पर रिश्वत लेने का लगाया था आरोप
स्वास्थ्य टीम की जांच में अमृत फार्मेसी का संचालन पाया गया अवैध
बलिया। बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित अमृत फर्मेसी को स्वास्थ्य टीम की जांच में अवैध पाएं जाने पर उसे खाली कराने के साथ ही बंद कर दिया गया है। बीते दिनों उक्त फार्मेसी के संचालक द्वारा बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डा. वेंकटेश मौआर पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। डॉक्टर वेंकटेश को विजिलेंस टीम द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था और चिकित्सा अधीक्षक की पुलिस कार्रवाई के दौरान मौत हो गई थी।


बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वेंकटेश मौआर की मौत के बाद काफी दिनों तक जनपद के स्वास्थ्य महकमे में हो-हल्ला मचा रहा। लोगों ने सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वेंकटेश मौआर को गलत आरोप में फंसाने तथा मौत के पीछे सोची समझी साजिश बताया था। इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग की गई थी।


बांसडीह सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वेंकटेश मौआर की मौत एवं कार्रवाई की जांच और प्रकरण का भले ही पटाक्षेप न हुआ हो, लेकिन यह प्रकरण चहुंओर चर्चा में है और लोग इस पर होने वाली हर कार्रवाई को लेकर नजर गड़ाए हुए हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य महकमे की कार्रवाई ने मामले को एक बार फिर गरमा दिया है।


बताते चलें कि जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बांसडीह परिसर में संचालित अमृत फार्मेसी की तीन सदस्यीय स्वास्थ्य टीम द्वारा जांच कराई।


मुख्य चिकित्साधिकारी ने स्वास्थ्य टीम की जांच में अमृत फार्मेसी का संचालन अवैध पाए जाने के उपरांत जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विजय यादव की अध्यक्षता में स्वास्थ्य टीम गठित की तथा उप जिलाधिकारी बांसडीह द्वारा नायब तहसीलदार एवं थाना प्रभारी की टीम गठित की गई। इन दोनों टीमों ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर अमृत फार्मेसी को खाली करा दिया है।


जन औषधि केंद्र संचालन का आरोप था कि अनुमति पत्र निर्गत करने के लिए चिकित्सा अधीक्षक डा. मौआर द्वारा 20000 रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। इसकी शिकायत करने के बाद बांसडीह सीएचसी पर वाराणसी से पहुंची विजिलेंस की 14 सदस्यीय टीम ने 20,000 रुपया रिश्वत लेते अधीक्षक डा. वेंकटेश मौआर पुत्र श्रीराम नरेश मौआर निवासी मौआर खैरा थाना बरून जिला औरंगाबाद बिहार को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। फिर अपने साथ लेकर चली गई थी। यह कार्रवाई जन औषधि केंद्र बांसडीह के संचालक अजय तिवारी की शिकायत पर विजिलेंस टीम द्वारा की गई थी।


बताते चलें कि यहां तक तो सबकुछ ठीक था, लेकिन इस कार्रवाई के सदमे से चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर वेंकटेश मौआर की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे में हो-हल्ला मचना शुरू हुआ। तब लोगों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था। स्वास्थ्य महकमे के चिकित्सकों का कहना था कि अगर समय से डा. वेंकटेश मौआर का उपचार हुआ होता तो उनकी मौत नहीं होती।

अब जान औषधि केंद्र संचालक पर हुई कार्रवाई से जहां स्वास्थ्य महकमे ने राहत की सांस ली है, वहीं आम जनता ने इस कार्रवाई को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बताया कि अगर विजिलेंस टीम की कार्रवाई गलत थी, तो उन पर भी कार्रवाई हो। अगर सही है तो जिस जन औषधि केंद्र संचालक की दुकान के लिए आदेश निर्गत करना था और उससे चिकित्सा अधीक्षक द्वारा रिश्वत मांगा जा रहा था उसकी दुकान को संचालित करने के लिए आदेश निर्गत होना चाहिए था। ऐसा न होने के पीछे क्या सच्चाई है यह जांच रिपोर्ट में ही पता चलेगा ?
