डेंगू : मच्छरों के काटने, तेज बुखार होने व शरीर में प्लेटलेट्स कम होने से होता है
बलिया। बदलते मौसम में डेंगू रोग का फैलाव चिंताजनक हो गया है। खासकर बच्चों में होने वाले डेंगू रोग से उन्हें कैसे बचाया जाए ? रोग के मुख्य लक्षण क्या है ? माता-पिता को बच्चों का ख्याल कैसे रखना चाहिए ? रोग से बचने के लिए किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए ? इस संबंध में हम बात करेंगे नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत कुमार सिंह से। आइए जानते हैं कि बच्चों में होने वाले डेंगू रोग को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?
अपूर्व हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर शंकरपुर मझौली में तैनात नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि डेंगू मच्छरों के काटने से होता है। इसके होने पर बहुत तेज बुखार होता है। शरीर टूटने लगता है, हड्डियों में तेज दर्द और कमजोरी बहुत ज्यादा होती है। वर्तमान समय में डेंगू एक सामान्य बीमारी है, लेकिन असावधानी बरतने पर यह काफी गंभीर और जानलेवा भी हो सकती है।
बच्चों को इस रोग से बचाने के लिए अपने आस-पास साफ-सफाई रखना जरूरी है। कभी भी घर में पानी जमा न होने दें। गंदगी से बच्चों को दूर रखें। झाड़ी व कूड़ा आदि स्थानों पर बच्चों को खेलने न दें, क्योंकि पानी जमा होने पर ही डेंगू के मच्छर जन्म लेते हैं। इसके साथ ही गंदे जगहों पर मच्छरों की भरमार होती है, वहां भी डेंगू मच्छरों के होने का खतरा बना रहता है। बच्चों को कभी भी खुले में बिना मच्छरदानी के न सुलाएं। बच्चों को जब भी घर से बाहर भेजें फूल शर्ट जरुर पहनाएं, शरीर को ढंककर रखना जरूरी है।
डेंगू रोग में शरीर का प्लेटलेट्स काफी तेजी से कम होने लगता है। अधिक प्लेटलेट्स गिरने व कम होने की स्थिति में नाक, कान आदि से ब्लड आने लगता है। ऐसे में बच्चों को बचाने के लिए सबसे पहले प्लेटलेट्स में सुधार लाना होता है। इसके लिए जरूरी होने पर प्लेटलेट्स चढाया भी जाता है और अन्य दवाएं दी जाती हैं।
नवजात शिशुओं में पीलिया रोग का होता है खतरा-डा. प्रशांत कुमार सिंह
बलिया। मां के गर्भ से जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं में पीलिया रोग होने का अधिक खतरा होता है। वह बच्चे जो समय से पहले पैदा होते हैं, उनका लीवर अन्य बच्चों की तरह विकसित नहीं होता। इस कारण उन्हें पीलिया होने का चांस ज्यादा रहता है। बच्चों में पीलिया होने का मुख्य लक्षण उनका शरीर पूरी पीला दिखाई देने लगता है। उसकी आंखें पीली हो जाती हैं। यहां तक कि पैर और हाथ के तलवे भी पीले होते हैं। उनके नाखून तक पीला हो जाता है। ऐसे में माता-पिता को तत्काल बच्चों को पूरी सतर्कता के साथ अपने नजदीकी बालरोग विशेषज्ञ के पास लेकर जाना चाहिए और उनका उपचार करना चाहिए।