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बिना पहचान पत्र अस्पताल में नहीं रुक सकेंगे तीमारदार

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कोलकाता की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा भी अलर्ट

डिप्टी सीएम ने जारी किए निर्देश, कहा- अस्पताल के स्टाफ की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता

Dr. B.K. gupta

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लखनऊ। कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ अमानवीय घटना को लेकर यूपी के स्वास्थ्य महकमे में भी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिए हैं। डिप्टी सीएम का कहना है कि अस्पताल के स्टाफ की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।


Dr. D Rai

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Dr. P.K. Singh

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Dr. Aftab

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उन्होंने कहा कि चिकित्सालयों में अमूमन ऐसे लोगों को देखा जाता है, जिनका कोई भी रोगी अस्पताल में भर्ती नहीं है, वे सिर्फ रात्रि विश्राम के लिए अस्पतालों में रुक जाते हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वार्ड, आईसीयू, रेस्टिंग रूम, इमरजेंसी वार्ड, आईपीडी विभाग में रात्रि प्रवेश के लिए तीमारदारों को प्रवेश पत्र निर्गित किए जाएं।

Dr. Shubham Rai

SHUBHAM RAI

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Dr. M. Alam

08
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कंट्रोल रूम को करें क्रियाशील
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिए हैं कि चिकित्सालय परिसर में 24 घंटे सुरक्षा हेतु कंट्रोल रूम को क्रियाशील किया जाए। कंट्रोल रूम में आवश्यक सुरक्षाकर्मी तैनात रहें। अस्पताल परिसर की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त सेना के जवानों की भर्ती की जाए। चिकित्सालय के नजदीकि पुलिस थाने के लिए समन्वय तथा नियमित रूप से संवाद स्थापित किया जाए।

Dr. Krishna Singh

Dr. P.K.
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Mother Care Clinic
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5


Dr. Musrat jahan

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Dr. V.S. Singh

07
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आंतरिक यौन उत्पीड़न समिति का होगा गठन
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत चिकित्सालय में महिला चिकित्सकों व महिला कर्मियों के लिए आंतरिक यौन उत्पीड़न समिति का गठन किया जाए। चिकित्सालय परिसर में स्थापित सीसी टीवी कैमरों की समय-समय पर चेकिंग की जाए। कैमरों की संख्या पर्याप्त एवं सभी क्रियाशील होने चाहिए। अस्पताल में ठेका एवं आउटसोर्सिंग स्टाफ का पुलिस सत्यापन अवश्य कराया जाए।

कराएं संस्थागत एफआईआर
उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल परिसर में डॉक्टर अथवा चिकित्सा कर्मचारियों के साथ हिंसा होती है तो अस्पताल के इंचार्ज या उनका द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा एफआईआर कराई जाएगी। इसे संस्थागत एफआईआर कहा जाएगा। इसकी रिपोर्टिंग का कार्य अस्पताल द्वारा किया जाएगा न कि प्रभावित व्यक्ति द्वारा।

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